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लेखनी कहानी -05-Apr-2022

             किताब 

महज पन्नों के ढेर को किताब नहीं कहते 
लिखने वाले की आत्मा की आवाज़ उसमे 
समाई है। 
पढ़ने वाला क्या जाने वो तो अपने हिसाब से पढ़ रहा है। 
लिखने वाले ने लिखने में ना जाने कितनी रातें गावई  हैं 

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4 Comments

Renu

05-Apr-2022 11:13 PM

बहुत खूब

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Swati chourasia

05-Apr-2022 02:22 PM

Nice

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Gunjan Kamal

05-Apr-2022 11:42 AM

Very nice

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